कांता भारती की रेत की मछली

 रेत की मछली: एक स्त्री की मौन चीख और साहित्यिक प्रतिरोध





"क्या तुम ज़्यादा प्रेम करना चाहोगी या ज़्यादा पीड़ा सहना?"
यह प्रश्न मेरे मन में तब गूंजा जब मैंने गुनाहों का देवता पढ़ा। परन्तु जब मैंने रेत की मछली पढ़ी, तो यह प्रश्न एक उत्तर में बदल गया "मैंने प्रेम किया, और उसकी कीमत चुकाई।" यह उपन्यास मैंने एक ही बैठक में, मात्र पाँच घंटों में पूरा पढ़ लिया। यह इतना प्रभावशाली, इतना बाँध लेने वाला था कि मैं इसे अपने हाथों से अलग ही नहीं कर सकी। हर पन्ना, हर संवाद, हर स्थिति मेरी चेतना को झकझोर रही थी।

सैंड्रा गिल्बर्ट और सुसान गुबार की Madwoman in the Attic ने साहित्य में स्त्रियों की आवाज़ को पुनः परिभाषित किया। उन्होंने बताया कि कैसे पितृसत्तात्मक साहित्य में स्त्रियों की आवाज़ को दबाया गया, उन्हें पागल घोषित किया गया, और उनकी कहानियों को हाशिए पर रखा गया। रेत की मछली इस अवधारणा का जीवंत उदाहरण है।

कांता भारती का यह उपन्यास उनकी अपनी पीड़ा, संघर्ष और आत्मा की गहराइयों से निकला हुआ प्रतीत होता है। यह उपन्यास न केवल एक स्त्री की व्यक्तिगत कथा है, बल्कि उन सभी स्त्रियों की आवाज़ है जिन्हें समाज ने चुप रहने पर मजबूर किया। गुनाहों का देवता में चंदर का चरित्र एक आदर्शवादी, संवेदनशील और त्यागी पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सुधा, बिनती और पम्मी जैसी स्त्रियाँ उसकी भावनाओं की परछाई बनकर रह जाती हैं। चंदर के निर्णय, उसकी आत्मग्लानि, और उसके प्रेम को महिमामंडित किया गया है, जबकि स्त्रियों की पीड़ा को नज़रअंदाज़ किया गया।

इसके विपरीत, रेत की मछली में कुंतल की आवाज़ है एक स्त्री की जो अपने प्रेम, विवाह और जीवन के लिए संघर्ष करती है। शोभन, जो एक लेखक और संपादक है, कुंतल के साथ भावनात्मक और शारीरिक शोषण करता है। वह अपनी "मुँह बोली बहन" मीनल के साथ संबंध बनाता है, और कुंतल को मानसिक यातना देता है।

यह उपन्यास एक स्त्री की आत्मा की गहराइयों में झांकता है, उसकी पीड़ा, उसकी चुप्पी, और उसके संघर्ष को उजागर करता है। शोभन का चरित्र धर्मवीर भारती के चंदर से मिलता-जुलता है, लेकिन वह और भी अधिक क्रूर और स्वार्थी है। वह कुंतल को मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है, उसके आत्मसम्मान को कुचलता है, और उसे अपनी इच्छाओं का उपकरण बना देता है।शोभन का यह चरित्र उन सभी पुरुषों का प्रतिनिधित्व करता है जो समाज में आदर्शवादी, बुद्धिजीवी और संवेदनशील माने जाते हैं, लेकिन अपने निजी जीवन में स्त्रियों के साथ अन्याय करते हैं।

कुंतल का चरित्र उन सभी स्त्रियों की प्रतीक है जो अपने प्रेम, अपने सपनों और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती हैं। वह अपने परिवार के विरोध के बावजूद शोभन से विवाह करती है, लेकिन उसे धोखा, पीड़ा और अपमान मिलता है। कुंतल की चुप्पी, उसकी सहनशीलता, और उसकी आत्मा की गहराइयों में छिपी पीड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में स्त्रियों की आवाज़ को कैसे दबाया जाता है, और उन्हें कैसे "पागल" घोषित किया जाता है।

इस किताब का एक-एक पन्ना मुझसे जैसे सवाल कर रहा था कुंतल क्यों सह रही है? किस क्षण की प्रतीक्षा कर रही है? कौन आएगा उसे बचाने? मैं हर बार खुद से लड़ रही थी जैसे मैं खुद कुंतल बन गई हूं। शोभन के आरोप, उसकी कठोरता, उसकी आत्ममुग्धता और सबसे खतरनाक उसका भावनात्मक और शारीरिक शोषण  मुझे भीतर तक हिला रहा था।

शोभन ने कुंतल को न केवल मानसिक रूप से तोड़ा, बल्कि उसे “अशुद्ध”, “पागल” और “अयोग्य” सिद्ध करने की हर संभव कोशिश की। वह शब्दों के ज़रिए गाली देता है, कभी उसे पीटता है, कभी तिरस्कार से देखता है, और कभी अपनी चुप्पी से कुंतल की आत्मा को कुचल देता है।

यह सिर्फ घरेलू हिंसा नहीं थी यह एक बौद्धिक हिंसा भी थी, जहाँ एक लेखक, एक संपादक, एक प्रतिष्ठित पुरुष अपने सामाजिक मुखौटे के पीछे एक स्त्री को तोड़ता है। रेत की मछली न केवल एक उपन्यास है, बल्कि एक साहित्यिक प्रतिरोध है। यह उन सभी स्त्रियों की आवाज़ है जिन्हें समाज ने चुप रहने पर मजबूर किया, जिन्हें उनके प्रेम, उनके सपनों और उनके अस्तित्व के लिए सजा दी गई।

यह उपन्यास हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि साहित्य में स्त्रियों की कहानियों को कैसे प्रस्तुत किया जाता है, और कैसे उन्हें हाशिए पर रखा जाता है।

Thank you.

Here is the audiobook of the novel. 


I would like to acknowledge ChatGPT for assiting me in writing this review in Hindi.


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